Wednesday, January 13, 2010

मौत तू एक कविता है/Maut tu ek kavita hai

मौत तू एक कविता है,
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको


डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन


जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको

5 comments:

  1. यह पंक्तियाँ उदासीभरी या दर्दभरी नहीं हैं | बल्की जब शायर कहता हैं ,"जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को सांस आने लगे" ; तब वह एक बहुत ही सकारात्मक दृष्टिकोण हैं एवं प्रेरणादायी भी हैं |गुलज़ार साहब की इन बेहतरीन पंक्तियों को मैंने मराठी में अनुवादित करने की कोशिश की हैं|

    http://ransap.blogspot.com/2010/12/blog-post.html

    पसंद आयें तो ज़रूर बताईयेगा|

    - रणजित पराडकर

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  3. beautiful poem due to this poem i start think and start writing poems

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  4. I AM HAVING SHORTAGE OF WORDS TO HOW TO SAY THIS IS THE BEST WAY TO SAY ALVIDA TO A PERSON WHO IS GOING TO DYING IN FRONT OF YOU.....

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