Wednesday, January 13, 2010

कभी यूँ भी तो हो/Kabhi yun bhi to ho

कभी यूँ भी तो हो
दरिया का साहिल हो
पूरे चाँद की रात हो
और तुम आओ


कभी यूँ भी तो हो
परियों की महफ़िल हो
कोई तुम्हारी बात हो
और तुम आओ


कभी यूँ भी तो हो
ये नर्म मुलायम ठंडी हवायें
जब घर से तुम्हारे गुज़रें
तुम्हारी ख़ुश्बू चुरायें
मेरे घर ले आयें


कभी यूँ भी तो हो
सूनी हर मंज़िल हो
कोई न मेरे साथ हो
और तुम आओ


कभी यूँ भी तो हो
ये बादल ऐसा टूट के बरसे
मेरे दिल की तरह मिलने को
तुम्हारा दिल भी तरसे
तुम निकलो घर से


कभी यूँ भी तो हो
तनहाई हो, दिल हो
बूँदें हो, बरसात हो
और तुम आओ


कभी यूँ भी तो हो

This is one of my favorites and though I'm against piracy but still searching for this song can be difficult so hear it at http://songs.pk/silslay.html

मौत तू एक कविता है/Maut tu ek kavita hai

मौत तू एक कविता है,
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको


डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन


जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको

Monday, January 4, 2010

भिक्षुक/Bhikshuk

वह आता--


दो टूक कलेजे के करता पछताता

पथ पर आता।







पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,

चल रहा लकुटिया टेक,

मुट्ठी भर दाने को-- भूख मिटाने को

मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता--

दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।







साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये,

बायें से वे मलते हुए पेट को चलते,

और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाये।

भूख से सूख ओठ जब जाते

दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?--

घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।

चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,

और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!


वीणा वादिनि/Var de Veena Vadini


वर दे, वीणावादिनि वर दे।

प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव

भारत में भर दे।



काट अंध उर के बंधन स्तर

बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर

कलुष भेद तम हर प्रकाश भर

जगमग जग कर दे।



नव गति नव लय ताल छंद नव

नवल कंठ नव जलद मन्द्र रव

नव नभ के नव विहग वृंद को,

नव पर नव स्वर दे।



वर दे, वीणावादिनि वर दे।

Friday, January 1, 2010

gulaabi choodiyan- nagarjun

गुलाबी चूड़ियाँ
प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ,
सात साल की बच्ची का पिता तो है!

सामने गियर से ऊपरहुक से लटका रक्खी
हैंकाँच की चार चूडियाँ
गुलाबीबस की रफ़्तार के मुताबिकहिलती रहती हैं
झुककर मैंने पूछ लिया
खा गया मानो झटकाअधेड़ उम्र का मुच्छड़ रोबीला
चेहराआहिस्ते से बोला :
हाँ सा'बलाख कहता हूँ, नहीं मानती है
मुनियाटाँगे हुए है कई दिनों सेअपनी अमानतयहाँ अब्बा की नज़रों के
सामनेमैं भी सोचता हूँ
क्या बिगाड़ती हैं चूडियाँकिस जुर्म पे हटा दूँ इनको यहाँ से?
और ड्राइवर ने एक नज़र मुझे देखाऔर मैंने एक नज़र से उसे देखा
छलक रहा था दूधिया वात्सल्य बड़ी-बड़ी आँखों में
तरलता हावी थी सीधे-सादे प्रश्न पर
और अब वे निगाहें फिर से हो गई सड़क की ओर
और मैंने झुककर कहा -हाँ भाई,
मैं भी पिता हूँ
वो तो बस यों ही पूछ लिया
आपसे
वर्ना ये किसको नहीं भाएँगी?
नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ!