मौत तू एक कविता है,
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
one of my favourites...
ReplyDeleteयह पंक्तियाँ उदासीभरी या दर्दभरी नहीं हैं | बल्की जब शायर कहता हैं ,"जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को सांस आने लगे" ; तब वह एक बहुत ही सकारात्मक दृष्टिकोण हैं एवं प्रेरणादायी भी हैं |गुलज़ार साहब की इन बेहतरीन पंक्तियों को मैंने मराठी में अनुवादित करने की कोशिश की हैं|
ReplyDeletehttp://ransap.blogspot.com/2010/12/blog-post.html
पसंद आयें तो ज़रूर बताईयेगा|
- रणजित पराडकर
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ReplyDeletebeautiful poem due to this poem i start think and start writing poems
ReplyDeleteI AM HAVING SHORTAGE OF WORDS TO HOW TO SAY THIS IS THE BEST WAY TO SAY ALVIDA TO A PERSON WHO IS GOING TO DYING IN FRONT OF YOU.....
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